Ganga Pushkar Kumbh: 12 साल बाद बन रहा है संयोग, जानिए- कब से शुरू हो रहा और क्या है मान्यता ?
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि पुष्करम दक्षिण भारत में श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। गुरुवार धर्म, धन और संतान का फल देने के अधिकारी है। ज्योतिष शास्त्र में ही जब बृहस्पति चंद्रमा की युति में ही गजकेशरी योग बनता है।
गुरुवार के राशि परिवर्तन से गंगा पुष्कर कुंभ का संयोग बन रहा है। 12 दिनों के कुंभ में दक्षिण का उत्तर की ओर पलट प्रवाह होगा। काशी के पवित्र गंगा घाटों पर दक्षिण भारतीय समाज के लोग अपने पितरों के लिए तर्पण करने के साथ पार्थिव शिवलिंग का पूजन करेंगे। धार्मिक मान्यता के मुताबिक प्रत्येक 12 वर्ष पर गंगा पुष्कर कुंभ लगता है।
दक्षिण भारतीय समाज के लोगों के विशेष महत्व वाला होता है। आचार्यों के मुताबिक बृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश करने पर पुष्कर कुंभ लगता है। इस बार 22 अप्रैल को बृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करेंगे और तीन मई 2024 तक इस राशि में रहेंगे। यह मिलन पुष्करम कुंभ के तौर पर मनाया जाएगा।
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पंडित दीपक मालवीय ने बताया कि पुष्करम दक्षिण भारत में श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। गुरुवार धर्म, धन और संतान का फल देने के अधिकारी है। ज्योतिष शास्त्र में ही जब बृहस्पति चंद्रमा की युति में ही गजकेशरी योग बनता है। जिसका महत्व ज्योतिष शास्त्र में वर्णित है। पुष्करम कुंभ प्रत्येक 12 वर्ष पर नदियों के किनारे आयोजित होता है। इस बाद काशी में 22 अप्रैल से 3 मई तक पुष्कर कुंभ गंगा के पवित्र घाट पर आयोजित होगा। बृहस्पति के मेष राशि में प्रवेश करने पर पुष्कर कुंभ लगता है। इस बार 22 अप्रैल को बृहस्पति मेष राशि में प्रवेश कर तीन मई तक रहेंगे। इस दौरान 12 दिन का कुंभ आयोजित होगा। ट्रेनों के अलावा सड़क मार्ग से आने वाले दक्षिण भारतीय श्रद्धालु काशी के घाटों पर तर्पण करेंगे। इस दौरान शिवलिंग की स्थापना और दान पुण्य की मान्यता है।
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