नवोदय विद्यालय: "छात्रों ने फिर किया पथराव" , ढाई घंटे अफसरों के प्रयास पर माने !!
पीपीगंज। नवोदय विद्यालय में शनिवार को भी छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया। इस दौरान हॉस्टल से मेस की छत पर पथराव भी किया। हालांकि बाद में अफसरों की पहल पर दोपहर तीन बजे 17 घंटे बाद धरना समाप्त हो गया। एसडीएम और सीआरओ मौके पर गए और बंद कमरे में ढाई घंटे तक छात्रों की एक-एक समस्याएं सुनीं और कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को शांत करा दिया। इसके बाद छात्रों ने भोजन किया। शुक्रवार की रात से ही छात्र आक्रोशित थे। खराब भोजन, पानी की समस्या और प्रिंसिपल से नाराज छात्रों ने छत पर आगजनी और पथराव भी किया था।
जानकारी के मुताबिक, पीपीगंज क्षेत्र के जंगल बिहुलि में स्थित नवोदय विद्यालय पर शुक्रवार को 8 बजे कक्षा 9 से 12 वीं के छात्रों ने प्रधानाचार्य पर गलत व्यवहार, विद्यालय की सुविधाओं में बदलाव आदि मांगों को लेकर छात्रावास में अपने आप को बंद कर विरोध प्रदर्शन शुरू किया। इस दौरान प्रिंसिपल ने पुलिस बुला ली, जिससे नाराज छात्रों ने विद्यालय की छत पर रखे सामान में आग लगाकर सभी मांगों को पूर्ण करने व जिलाधिकारी से मिलने की मांग की। मौके पर पहुंची पीपीगंज पुलिस ने जब समझाने का प्रयास किया तो छात्रों ने उनपर भी पथराव कर दिया।
इसके बाद देर रात तहसीलदार कैंपियरगंज केशव प्रसाद भी गए थे, लेकिन छात्र नहीं माने। शनिवार की दोपहर भी छात्रों ने पथराव किया। लेकिन समझाने पर मान गए। फिर दोपहर 1.30 बजे एसडीएम कैंपियरगंज अमित जायसवाल भी पहुंचे। छात्रों ने बताया कि खाने-पीने व अन्य किसी भी सुविधाओं में दिक्कत होने पर यदि प्रधानाचार्य से शिकायत की जाती है तो वह बेइज्जत करते हैं। अफसरों ने कार्रवाई का आश्वासन दिया, जिसके बाद छात्र मान गए।
ये है विद्यालय के छात्रों की मांग
खराब आरओ मशीन व नल को ठीक कराया जाए
शुद्ध व स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था हो
प्रिंसिपल का स्थानांतरण किया जाए, वह बच्चों से बदसलूकी न करें
पहले भी धरना दे चुके हैं छात्र
18 फरवरी 2022 को भी नवोदय विद्यालय के छात्रों ने विद्यालय की सुविधाओं व खानपान में सुधार की मांग को लेकर भूख हड़ताल कर अपने आप को छात्रावास में बंद कर प्रदर्शन किया था। तब 16 घंटे बाद कैंपियरगंज के उपजिलाधिकारी नवोदय विद्यालय पहुंचे थे और आश्वासन देकर मामले को शांत कराया।
पूर्व छात्रों की पहल से सुलझा मामला
मुझ पर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। पढ़ाई के दिनों में मैं खुद छात्रावास में रहता था। इसलिए छात्रों की समस्या को जानता हूं।
सुरेश चंद्र, प्रिंसिपल
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